दुःख के वेश में आया है…सुख !
जो भी हमारे साथ होता है वह हमारे पूर्व कर्मों का फल है। कुदरत का कानून (law of karma) सुनिश्चित करता हैं की हमारा किया हमारें आगे अवश्य आये और नियति बिना चूकें उन लोगों को…. उन परिस्थितियों को हमारे आगे ला के खड़ा कर देती हैं जिनके साथ कुछ पिछला बकाया हैं और बकाया…
भाग्य रचयिता के औज़ार – संस्कार !
हर आत्मा के अपने संस्कार होते हैं- सात्विक, तामसिक, राजसी। सभी आत्माएं / प्रत्येक व्यक्ति अपने इन्ही गुणों के अनुसार व्यवहार करते हैं। ये गुण भी प्रकृति से ही मिलते हैं और प्रकृति ईश्वर की रचना हैं। इसलिए प्रकृति द्वारा दिए गए संस्कारों का फल हैं उसका व्यवहार ! संस्कार राजसी, तामसिक, सात्विक हो सकते…
कुदरत का कानून – Law of Karma !
लॉ ऑफ़ कर्मा (law of karma) यानि “कर्म का सिद्धांत” या “कुदरत का कानून” क्या अर्थ है इसका? कर्म का अर्थ है “कोई कार्य करना” “कारण और परिणाम” का सिद्धांत (law of cause and effect) हमें बताता है की हर कार्य का एक परिणाम होता हैं। हर क्रिया की एक प्रतिक्रिया होती हैं। यानि जो…
एक यात्रा – अंश से अनंत तक !
हमें मृत्यु से डर लगता हैं क्यों कि हम नहीं जानते कि मृत्यु के बाद क्या होता हैं। धरती पर हमारा जीवन वास्तव में गुरुकुल में शिक्षा पूर्ण करने जैसा है जो पूर्ण करके हमें ‘अपने घर’ जाना हैं। जी हाँ हमारे अपने घर। इस दुनियाँ से अलग एक और दुनियां भी हैं…रूहानी दुनियां, जिसे…
मेरे साथ ही क्यों ?
मेरे जीवन में इतनी मुश्किलें क्यों है? लोग मेरे साथ ऐसा व्यवहार क्यों करते है? मेरा स्वभाव ऐसा क्यों है? मेरा जीवन क्या ऐसा ही रहेगा? जो भी मेरे साथ होता है वो मेरा भाग्य तय करता है. पर फिर, मेरा भाग्य कौन तय करता हैं? मेरा भाग्य ऐसा ही क्यों है? किसने लिखा है मेरे भाग्य को ? इस प्रश्न के…