Month: May 2017

नियति अटल है पर भाग्य रचयिता है हम !

परिस्थितियां अटल है और फिर भी भाग्य रचयिता मैं हूँ ! कैसे? आइये इसे एक साधारण समीकरण से समझते हैं। भाग्य =  नियति  + वर्तमान कर्म  ‘नियति’ यानि वे परिस्थितियां जो हमारे सामने हमारी इच्छा अनिच्छा के बिना आती हैं। ‘वर्तमान कर्म’ यानि उन परिस्थितियों के आने पर जो “जो हम करते हैं, कहते हैं…

By डॉ. गुँजारिका राँका May 16, 2017 0