Category: आध्यात्म

श्राद्ध – क्यों?

पितृ पक्ष के सोलह दिन!  ये सोलह दिन अपने पुरखों के प्रति कृतज्ञ होने के दिन हैं। ये नतमस्तक वंशावलियों के आभारी होने के दिन हैं। परन्तु ये कोरी भावनाओं में बहने के दिन नहीं हैं! ये किसी पाखण्ड को पोषित करने के दिन नहीं हैं! जानिए के क्यों हैं श्राद्ध पक्ष महत्वपूर्ण? क्या हैं…

By डॉ. गुँजारिका राँका September 27, 2019 1

सन्यासी या गृहस्थ – किसकी तपस्या बड़ी?

संसार से भागे फिरते हो…भगवान् को तुम क्या पाओगे इस लोक को भी अपना न सके…उस लोक में भी पछताओगे 1964 में आयी फिल्म चित्रलेखा का यह गीत संन्यास की सार्थकता पर एक गहरा मन-मंथन प्रस्तुत करता हैं। ईश्वर कण-कण में हैं तो उसकी खोज के लिए संसार छोड़ने की क्या आवश्यक्ता हैं? सब छोड़…

By डॉ. गुँजारिका राँका June 7, 2019 0

आध्यात्मिक होना… मतलब?

चाहे आप किसी भी धर्म में आस्था रखते हों, हम में से ज्यादातर इस बात पर तो यकीन रखते ही हैं की हमारे चारों और कोई अदृश्य शक्ति तो हैं। कभी शाश्वत सत्य की खोज, कभी ग्रह-नक्षत्रों की गणना, कभी आत्मा की यात्रा की खोज, कभी अनेकानेक अनुत्तरित आध्यात्मिक चमत्कारिक घटनाओं का मंथन कर के…

By डॉ. गुँजारिका राँका June 7, 2019 0

क्यों हैं दिवाली सिद्धरात्रि?

कार्तिक माह की अमावस्या जब दीपावली का महापर्व मनाया जाता हैं. वह रात्रि सिर्फ उत्सव की ही रात्रि नहीं हैं, आध्यात्म के संसार में भी यह रात्रि इतनी अधिक महत्वपूर्ण हैं के इसे “सिद्धरात्रि” कहा जाता हैं. क्या हैं ऐसा इस रात्रि में जो ये मन्त्रों को सिद्ध कर देने का सामर्थ्य रखती हैं? दिवाली…

By डॉ. गुँजारिका राँका November 7, 2018 2

दुःख के वेश में आया है…सुख !

जो भी हमारे साथ होता है वह हमारे पूर्व कर्मों का फल है। कुदरत का कानून (law of karma) सुनिश्चित करता हैं की हमारा किया हमारें आगे अवश्य आये और नियति बिना चूकें उन लोगों को…. उन परिस्थितियों को हमारे आगे ला के खड़ा कर देती हैं जिनके साथ कुछ पिछला  बकाया हैं और बकाया…

By डॉ. गुँजारिका राँका July 16, 2017 0