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आध्यात्मिक होना… मतलब?

चाहे आप किसी भी धर्म में आस्था रखते हों, हम में से ज्यादातर इस बात पर तो यकीन रखते ही हैं की हमारे चारों और कोई अदृश्य शक्ति तो हैं। कभी शाश्वत सत्य की खोज, कभी ग्रह-नक्षत्रों की गणना, कभी आत्मा की यात्रा की खोज, कभी अनेकानेक अनुत्तरित आध्यात्मिक चमत्कारिक घटनाओं का मंथन कर के…

By डॉ. गुँजारिका राँका June 7, 2019 0

भाग्य रचयिता के औज़ार – संस्कार !

हर आत्मा के अपने संस्कार होते हैं- सात्विक, तामसिक, राजसी। सभी आत्माएं / प्रत्येक व्यक्ति अपने इन्ही गुणों के अनुसार व्यवहार करते हैं। ये गुण भी प्रकृति से ही मिलते हैं और प्रकृति ईश्वर की रचना हैं। इसलिए प्रकृति द्वारा दिए गए  संस्कारों का फल हैं उसका व्यवहार ! संस्कार राजसी, तामसिक, सात्विक हो सकते…

By डॉ. गुँजारिका राँका June 16, 2017 0

नियति अटल है पर भाग्य रचयिता है हम !

परिस्थितियां अटल है और फिर भी भाग्य रचयिता मैं हूँ ! कैसे? आइये इसे एक साधारण समीकरण से समझते हैं। भाग्य =  नियति  + वर्तमान कर्म  ‘नियति’ यानि वे परिस्थितियां जो हमारे सामने हमारी इच्छा अनिच्छा के बिना आती हैं। ‘वर्तमान कर्म’ यानि उन परिस्थितियों के आने पर जो “जो हम करते हैं, कहते हैं…

By डॉ. गुँजारिका राँका May 16, 2017 0

एक यात्रा – अंश से अनंत तक !

हमें मृत्यु से डर लगता हैं क्यों कि हम नहीं जानते कि मृत्यु के बाद क्या होता हैं। धरती पर हमारा जीवन वास्तव में गुरुकुल में शिक्षा पूर्ण करने जैसा है जो पूर्ण करके हमें ‘अपने घर’ जाना हैं। जी हाँ हमारे अपने घर। इस दुनियाँ से अलग एक और दुनियां भी हैं…रूहानी दुनियां, जिसे…

By डॉ. गुँजारिका राँका March 16, 2017 0

मैं कौन हूँ – एक मुलाकात स्वयं से…!

अगर आपसे कहा जाये की अपना परिचय दीजिये तो क्या कहेंगे आप? आपका जवाब कुछ ऐसा होगा,” मै एक डॉक्टर हूँ ” या “मै एक इंजीनियर हूँ” या “शिक्षक हूँ” या वकील हूँ, आदि। तो क्या यह आपका वास्तविक परिचय हैं? आप जन्म से ही तो डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक या वकील नहीं थे। ये आपका…

By डॉ. गुँजारिका राँका February 16, 2017 1