नियति अटल है पर भाग्य रचयिता है हम !
परिस्थितियां अटल है और फिर भी भाग्य रचयिता मैं हूँ ! कैसे? आइये इसे एक साधारण समीकरण से समझते हैं। भाग्य = नियति + वर्तमान कर्म ‘नियति’ यानि वे परिस्थितियां जो हमारे सामने हमारी इच्छा अनिच्छा के बिना आती हैं। ‘वर्तमान कर्म’ यानि उन परिस्थितियों के आने पर जो “जो हम करते हैं, कहते हैं…
कुदरत का कानून – Law of Karma !
लॉ ऑफ़ कर्मा (law of karma) यानि “कर्म का सिद्धांत” या “कुदरत का कानून” क्या अर्थ है इसका? कर्म का अर्थ है “कोई कार्य करना” “कारण और परिणाम” का सिद्धांत (law of cause and effect) हमें बताता है की हर कार्य का एक परिणाम होता हैं। हर क्रिया की एक प्रतिक्रिया होती हैं। यानि जो…
एक यात्रा – अंश से अनंत तक !
हमें मृत्यु से डर लगता हैं क्यों कि हम नहीं जानते कि मृत्यु के बाद क्या होता हैं। धरती पर हमारा जीवन वास्तव में गुरुकुल में शिक्षा पूर्ण करने जैसा है जो पूर्ण करके हमें ‘अपने घर’ जाना हैं। जी हाँ हमारे अपने घर। इस दुनियाँ से अलग एक और दुनियां भी हैं…रूहानी दुनियां, जिसे…
मेरे साथ ही क्यों ?
मेरे जीवन में इतनी मुश्किलें क्यों है? लोग मेरे साथ ऐसा व्यवहार क्यों करते है? मेरा स्वभाव ऐसा क्यों है? मेरा जीवन क्या ऐसा ही रहेगा? जो भी मेरे साथ होता है वो मेरा भाग्य तय करता है. पर फिर, मेरा भाग्य कौन तय करता हैं? मेरा भाग्य ऐसा ही क्यों है? किसने लिखा है मेरे भाग्य को ? इस प्रश्न के…