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आध्यात्मिक होना… मतलब?

चाहे आप किसी भी धर्म में आस्था रखते हों, हम में से ज्यादातर इस बात पर तो यकीन रखते ही हैं की हमारे चारों और कोई अदृश्य शक्ति तो हैं। कभी शाश्वत सत्य की खोज, कभी ग्रह-नक्षत्रों की गणना, कभी आत्मा की यात्रा की खोज, कभी अनेकानेक अनुत्तरित आध्यात्मिक चमत्कारिक घटनाओं का मंथन कर के…

By डॉ. गुँजारिका राँका June 7, 2019 0

क्योंकि हर ग्रह कुछ कहता हैं…

पृथ्वी से लाखों करोड़ो मील दूर स्थित ग्रह मेरे जीवन को प्रभावित कर रहे हैं ! कैसे? मैं कितनी भी कड़ी मेहनत करूँ ! मैं अपने कार्य में कितना भी कुशल क्यों न हूँ ! ग्रह निर्धारित करेंगे कि मुझे सफल होना हैं या असफल ??? मेरे रोग ग्रहों की वजह से हैं ! मेरे संबंधों…

By डॉ. गुँजारिका राँका August 16, 2017 0

दुःख के वेश में आया है…सुख !

जो भी हमारे साथ होता है वह हमारे पूर्व कर्मों का फल है। कुदरत का कानून (law of karma) सुनिश्चित करता हैं की हमारा किया हमारें आगे अवश्य आये और नियति बिना चूकें उन लोगों को…. उन परिस्थितियों को हमारे आगे ला के खड़ा कर देती हैं जिनके साथ कुछ पिछला  बकाया हैं और बकाया…

By डॉ. गुँजारिका राँका July 16, 2017 0

नियति अटल है पर भाग्य रचयिता है हम !

परिस्थितियां अटल है और फिर भी भाग्य रचयिता मैं हूँ ! कैसे? आइये इसे एक साधारण समीकरण से समझते हैं। भाग्य =  नियति  + वर्तमान कर्म  ‘नियति’ यानि वे परिस्थितियां जो हमारे सामने हमारी इच्छा अनिच्छा के बिना आती हैं। ‘वर्तमान कर्म’ यानि उन परिस्थितियों के आने पर जो “जो हम करते हैं, कहते हैं…

By डॉ. गुँजारिका राँका May 16, 2017 0

एक यात्रा – अंश से अनंत तक !

हमें मृत्यु से डर लगता हैं क्यों कि हम नहीं जानते कि मृत्यु के बाद क्या होता हैं। धरती पर हमारा जीवन वास्तव में गुरुकुल में शिक्षा पूर्ण करने जैसा है जो पूर्ण करके हमें ‘अपने घर’ जाना हैं। जी हाँ हमारे अपने घर। इस दुनियाँ से अलग एक और दुनियां भी हैं…रूहानी दुनियां, जिसे…

By डॉ. गुँजारिका राँका March 16, 2017 0